मीना मेरे आगे
और फिर अब्बा हुजूर मुझे यतीमखाने की सीढ़ियों पर रख आए। अम्मी को होश आया होगा। उन्होंने अपने पास मुझे न पाया होगा। दरिंदों, जिन्नातों, बच्चाचोरों जैसे कितने ही ख़यालात उनके मन को डरा गए होंगे। वह पागलों की तरह इधर-उधर ढूंढती भागती रही होंगी। और फिर अब्बू के घर आने पर उनसे सवालात की …